हमराही

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Wednesday, August 24, 2016

राखी [कुण्डलिया]

कहती बहना वीर से , ह्रदय रखो ना खोट 
जल्दी लगवाओ तिलक, और दिखाओ नोट |
और दिखाओ नोट, फ़ोन है लेना भैया 
व्हाट्सएप्प उसमें चले ,पार लगे तभी नैया 
चैट करें सब दोस्त , देखती उनको रहती 
भैया सुनो गुहार ,प्यार से बहना कहती |

कच्चा धागा प्रेम का ,लाया पक्की प्रीत 
टीका करती है बहन ,गाकर राखी गीत 
गाकर राखी गीत ,बहन ने बाँधा धागा  
मन में पावन भाव , यूँ सोने पे सुहागा 
नेह भरी यह डोर , बाँधती रिश्ता सच्चा 
लाया सच्ची प्रीत ,प्रेम का धागा कच्चा ||
9 अगस्त, 2014.

Wednesday, August 17, 2016

रक्षाबंधन [दोहावली]


छुट्टी ले भाई गया ,राखी का त्यौहार 
भाई बहना हैं मिले, निश्चल पावन प्यार |

कैसे भला निभा सके, राखी का त्यौहार 
छूट गई है नौकरी ,महँगाई की मार |

राखी का त्यौहार है, सजे हुए बाजार 
बहना धागा बाँधती ,भाई करे दुलार ||

रंग बिरंगी राखियाँ ,कहती सदा पुकार 
कच्चे धागों में बंधा ,निश्चल पावन प्यार ||

रेशम की ले डोरियाँ, बहना बाँधे प्यार 
करती भाई को तिलक, राखी का त्यौहार |

कच्चा धागा प्रेम का ,लाया पक्की प्रीत 
टीका करती है बहन ,वीर निभाना रीत | 

निश्चल पावन भावना ,नेह भरी है डोर 
रक्षा करता बहन की ,मनवा नाचे मोर |
9 अगस्त, 2014.

Saturday, August 13, 2016

सावन दोहे

भीगा भीगा है समय,पहली है बरसात।
मानसून लो आ गया ,भीगे हैं जज्बात।।


सारी धरती खिल उठी ,खुश है आज विशेष 
सावन की बौछार से ,रहा नहीं दुख शेष ||

चमक दामिनी देखती ,धरती का क्या हाल 
सूखा कुछ अब ना रहा , बरखा किया निहाल ||

अन्नदाता किसान के, नैनों में थी पीर  
माल पुए के संग में ,बनी आज है खीर ||


आया सावन झूम के, नम है आज बयार
धरती का आँचल खिला,मिला उसे विस्तार ||

सावन देखो आ गया, लेकर शीतल भोर |
आँचल वसुधा का खिला ,हरियाली चहुँ ओर||
6अगस्त, 2016.

Saturday, August 6, 2016

अच्छा लगता है [ गजल ]

1222         1222    1222
यूँ तेरा मुस्कुराना अच्छा लगता है 
झुकी नजरें चुराना अच्छा लगता है

दिलों को जीतना फितरत सही मेरी  

क्यों तुमसे हार जाना अच्छा लगता है

भरा दामन है मेरा काँटों से लेकिन 

सुमन सा मुस्कराना अच्छा लगता है 

तू वादे तोड़ दे यह तेरी है मर्जी

मुझे वादे निभाना अच्छा लगता है

न भाये छाँव भी महलों की तेरे बिन 

मुझे दिल आशियाना अच्छा लगता है 



हो मेरी जान तुम रूठो नहीं जानम 

न तुम बिन यह ज़माना अच्छा लगता है 
6 अगस्त, 2016.

Wednesday, August 3, 2016

रिश्ते हैं सब नाम के [दोहावली]


पति पत्नी यूँ आजकल, करते हैं गुड फील।

रिश्ते हैं सब नाम के, होती केवल डील।।

बेटा कहता बाप से ,फ्यूचर मेरा डार्क। 
रास न आये इण्डिया ,जाना है न्यूयार्क।।

बेटी कहती माँ सुनो,तुम तो रही गँवार।
पढ़ लिख कर हम क्यों भला ,समय करें बेकार।।

मात पिता देते सदा,जिनको आशीर्वाद।
वृद्धाश्रम वो भेजती ,नालायक औलाद।।

छः बच्चे भी पालकर, करते थे तब राज।
एक एक बच्चा अभी ,माँ बाप मोहताज।।
5 जुलाई,2016..