हमराही

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Monday, January 18, 2016

रूह के रिश्ते

रूह के रिश्ते 
होते हैं अजीब 
न समझो तो हैं दूर,
जो समझो तो हैं बहुत करीब

रूह के रिश्ते 
जो बिन देखे बन जाते हैं 
अगर जो न मिल पायें 
तो जीवन भर तड़पाते हैं 

रूह के रिश्तों  को तोड़कर 
हो पाता नहीं कोई गैर 
दूर चाहे जितना रहें 
मांगे सदा ही खैर 

रूह के रिश्ते 
जो बिन बाँधे बंध जाते हैं 
बनता है अटूट बंधन 
फिर तोड़े कभी ना जाते हैं 
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