हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Monday, March 25, 2013

''..होली आई रे ..''


Saturday, March 23, 2013

''..इन्कलाब जिन्दाबाद ..''









Saturday, March 16, 2013

''..होली है ..''






             बसंती हवाओं का जैसे ही फेरा हो गया, 
           फाल्गुन के आते ही रंगीन सवेरा हो गया| 


आओ सब मिल होली मिलन मनाएँ,
नफ़रत और गिले शिकवों को भूल|






                          खुश्बू से महका है सारा आलम,
                    कुदरत ने सुन्दर बिखेरे है फूल|

     




                            नीला,पीला,हरा, लाल ,गुलाबी,
                          गलियों में उठी है रंगों की धूल|
   


दीन दुखियों में यूँ प्यार रंग बाँटो,
रहे ना किसी के मन में कोई शूल|






                           गुस्सा छोड़ो,गले से लग जाओ,
                            हो जाओ चाचा तुम अब कूल|

  





                           पिचकारी,गुब्बारे,गुलाल लाओ,
                           गलियों में बनाओ रंगों के पूल|


हुड़दंग करो टोलियाँ बना आओ,
रहे ना आज कोई नफ़रत का रूल|
..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..,..

Thursday, March 14, 2013

!!..शायद ,मैं फेल हो गई.. !!


शायद ,मैं फेल हो गई
जिंदगी के हर इम्तिहान में,
कभी कभी यह सोचकर ,
मन बहुत विचलित हुआ
क्योंकि एक शिक्षित,जागरूक महिला 
होने के बावजूद, हरेक को 
मैं अपने अनुरूप नही ढाल पाई,
जैसे एक घरेलू,अशिक्षित महिला ने कर दिखाया
मैं किसी अपने पर हुकुम तो नही चला पाई
पर मुझे खुशी है कि 
मैं अपने को उनके अनरूप ढाल पाई

मैने तय किया, 
हर गम का ,खुशी का सफ़र
उन सब अपनों के साथ
लिए हाथों में अपनों का हाथ
कभी बेटी,कभी बहन,
कभी पत्नी,कभी माँ,
कभी एक दोस्त बनकर,
कभी पास,कभी दूर रहकर
फिर क्या फ़र्क पड़ता है अगर 
मैं किसी के लिए फेल हो गई
मेरी आत्मा को संतुष्टि है कि
मैने जो भी करने की कोशिश की
उसमें मैंने खुद को 'पास' पाया,

शायद मुझे नही फ़र्क पड़ता 
किसी के भी फ़ैसले से बिल्कुल वैसे ही 
जैसे किसी की नज़र में तुम लाख गिर जाओ
पर अपनी नज़र में कभी मत गिरो
इसलिए मैं अपने को 'पास' हुआ मानती हूँ
फिर क्यों कहूँ? 
मैं कि शायद मैं फेल हो गई!

क्योंकि मैं 'मैं' हूँ..........नारी



Friday, March 8, 2013

''महिला दिवस पर एक गुज़ारिश ''


मेरे जीवन में आने वाली हर महिला जो मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत बनी
''महिला दिवस'' की हार्दिक शुभकामनाएँ 





पुरुष के संग कंधे से कन्धा मिलाकर अपनी भावनाओं 
को साकार करने हेतु पुरुष समाज से गुहार 

अपने अरमानों को मेरे संग जोड़,
मेरे अरमानों को विस्तार दे दो  !


उड़ती रहूँ पंछियो जैसे स्वछंद , 
मुझे मेरा गगन विशाल दे दो !





अबला नहीं सबला मुझे जानो ,
मुझे मेरा अस्तित्व सम्मान दे दो !

हंसकर करूँ हर चुनौती स्वीकार ,
मुझे वापिस मेरी मुस्कान दे दो !!

जो पुरुष नहीं समझ पाते नारी अस्तित्व को उनके लिए 
महिला मित्रों  से गुज़ारिश  





अबला नही सबला बनो,
कंधा ढूंड मत कंधा बनो!

वार सहो नही तुम वार करो,
हर चुनौती तुम स्वीकार करो!!









Thursday, March 7, 2013

''..धन्यवाद सहित शुभकामनाएँ ..''


6 मार्च को जन्मदिन पर परिवार ने एवं दोस्तों ने जो दिल खोल कर स्नेह दिया उसकी कुछ झलकियाँ ........



नये वर्ष में बसंत संग मैने किया प्रवेश,

फाल्गुन लेकर आ गया खुशीओं के संदेश!












गुरु जी की रचना का आया जो मीठा संदेश,
मन पुलकित हो उठा,क्योंकि यह था विशेष!


http://uchcharan.blogspot.in/2013/03/blog-post_6.html



अनुभवों का एक साल अपना बढ़ा लिया,
खट्टी मीठी यादों संग सम्मान पा लिया !










जन्मदिन पर मैने सबके उपहार किए स्वीकार,  
आशीर्वाद संग स्नेह आपका मिला मुझे अपार!








शुक्रिया है दोस्तो ,धन्यवाद और आभार,
बनाए रखना आशीर्वाद ,स्नेह और प्यार !!


Monday, March 4, 2013

'' विशेष ''

                                                मेरी रचना 
                                            
                                         
        '' है रहमत से भरपूर खुदा की  नेमत ... ये  बेटियाँ ... ''
                                                           
                               'शोभना फेसबुक रत्न पुरस्कार' 
                                                                                                                          
                                      के लिए चयनित हुई है ,
                          
                                 कृपया अपने विचार अवश्य रखें 
                                                                
                                         पक्ष में या विपक्ष में   


                    http://www.saadarblogaste.in/2013/03/15.html

Saturday, March 2, 2013

'नयन,ह्रदय,प्रीत'


प्रथम प्रयास दोहा लिखने का गुरु जी एवं अरुण के अथक प्रयास के साथ 
कृपया गलती निसंकोच बताएं ...... 

नयन मिलें जब आपसे ,पुष्प ह्रदय खिल जाय
 मन का पंछी उड़ चला ,कछु भी नही सुहाय

मन पंछी जो उड़ गया  ,फिर काहे पछताय
ह्रदय  प्रेम  क्यों गोरिया ,नयनों से छलकाय  

नयन मिला कर कृष्ण से, करले सच्ची प्रीत।
इस झूठे संसार में, नहीं कृष्ण सा मीत ।।